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यह पुस्तक सरल हिन्दी भाषा में है। वैदिक काल से ही भारत विश्व का सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक गुरु रहा है। भारत की संस्कृति पूरे विश्व में सर्वोपरि है और भारतीय संस्कृति का आधार गौमाता है, जिसे दुर्भाग्यवश आज हम पश्चिमी सभ्यता के प्रभुत्व के कारण भूल चुके हैं। हम भूल गए हैं कि जिस गौमाता के लिए साक्षात ब्रह्मा ने श्री राम और श्री कृष्ण के रूप में इस धरती पर अवतार लिया था, वह आज इस धरती पर तिरस्कृत है।
प्रिय गौभक्तों, इस कलिकाल में गायों का एक ऐसा प्रत्यक्ष चलायमान मंदिर है, जिसके पास जाने से ब्रह्माण्ड के सभी देवी-देवताओं के दर्शन होते हैं और हमारी सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं। इस पुस्तक में वेद, पुराण, उपनिषद, रामायण, महाभारत आदि आध्यात्मिक ग्रंथों में वर्णित गाय की महिमा के सार को दोहों और दोहों में लिखकर लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया गया है।
यह धेनु मानस पाँच सर्गों में विभाजित है। इस पुस्तक में काव्य की प्रधानता नहीं है बल्कि भाव और भक्ति की प्रधानता है। आशा ही नहीं ईश्वरीय प्रेरणा भी है कि यह धेनु मानस जन-जन तक पहुँचकर जन-जन का कल्याण करेगी तथा भारतीय संस्कृति एवं विश्वमाता की धरोहर गौमाता पुनः सुरभि के रूप में जन-जन के लिए पूजनीय एवं कल्याणकारी बनेगी। और इस धरती पर कामधेनु.
पुस्तक सूचना
प्रकाशक: आराध्या
प्रकाशन तिथि : 1 जनवरी 2020
भाषा: हिंदी
मुद्रण की लंबाई : 421 पृष्ठ
Author : Gopal Mani Maharaj
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