मंगल पण्डे भारत के महान क्रन्तिकारी थे | उन्होंने भारत की आजादी की पहली जंग जो अंग्रेजों को भारत से भागने की थी उसकी अगवाई की | अपने सभी निजी स्वार्थ छोड़ कर उन्होंने प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में अपना बलिदान दिया |
उनका जनम 16 जुलाई 1827 में हुआ उतर प्रदेश के बलिया जिले में | उनका जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था | उनका मानना था कि गाय भारत की माता है मंगल पण्डे सन 1849 जब वह २२ साल के थे एस्ट इंडिया कंपनी की फौज में भर्ती हो गए | उन्हें बंगाल में तैनात किया गया वह पैदल सेना में थे व उनका नो. था 1446
उन्होंने जब पता किया के अंग्रेजों की पिस्तौल में कारतूस डालने के लिए कारतूसों को मुँह से खोलना है उसके ऊपर गाये की चर्बी लगी हुई है जिस से मंगल पण्डे की आत्मा को ठेस पहुंची जिस गाये का दूध पीकर हम बड़े हुए व वह हमारी माँ है | आज यह अंग्रेज कसाई हमारी मां को मार रहे है व मार कर हमसे उनकी चर्बी को मुँह लगवा रहे है उन्होंने अंग्रेज अफसर को गोली से भून दिया |
बंगाल के बैरकपुर में 18 अप्रैल 1857 को फांसी दी जनि थी पर कोई जलाद तैयार नहीं हुआ फिर जब छावनी में भारती सैनिकों को पता लगा तो उन्होंने बगावत की तैयारी कर ली | इस लिए १० पहले ही मंगल पांडे को 8 अप्रैल1857 को बंगाल के बैरकपुर में ही गयी |
उन्होंने अंग्रेज अफसर को गोली से भूनते हुए कहा "मारो फिरंगी को "
29 मार्च 1857 को ही अंग्रेज यूरोप से उन्हें मारने के लिए आ रहे थे | इस से पहले ही वह अंग्रेजों को ही मरना कर दिया व जब अंग्रेजो की फौज ने उन्हें ग्रिफ्तार किया तो उनका कोर्ट मार्शल कर दिया व फांसी पर लटका दिया |
पर मंगल पण्डे के सपनों को फांसी न दे सके व भारत १५ august 1947 को आजाद हो गया उनके बलिदान के १०० साल से बाद |
आज ८ अप्रैल २०२२ है आज उनकी शहादत का 165 दिवस है आये उन्हें नतमसतक होते है |
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