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छत्रपती शिवाजी महाराज जी की जीवनी



छत्रपती शिवा जी का जन्म 19th Feb. 1630 को  हुआ था | उनकी माता जी का नाम जीजा बाई था व उनके पिता जी का नाम शाह जी भोंसले था | शिवा जी महाराणा  प्रताप के वंश में से थे जो महाराष्ट्र में राजस्थान के चितोड़ से आये थे | 

जब शिवा जी का जनम हुआ तब मुगलों का भारत पर राज था | आदिलशाह का कोहराम था , शाहजान का कोहराम था | औरंगजेब का जुल्म था |  उनका जन्म पुणे के पास शिवदुर्गी में हुआ 

Contents

  1. शिवा जी का बचपन
  2. माता की शिक्षा 
  3. मातृभूमि से प्रेम होना 
  4. गौ माता से प्रेम 
  5. अफजल खान का वध 
  6. औरंगजेब की कैद से मुक्ति 
  7. राजा अभिषेक करना 
  8. शिवाजी को विष दे कर हत्या करना 


शिवा जी का बचपन 

बचपन से ही शिवा जी बुद्धिमान थे |  उन्होंने अपने देश को स्वतंत्र कराने का संकप लिया व अपने दोस्तों का संगठन बनाया व उनका नेत्र्तव भी किया | छोटी सी आयु में उन्होंने हथियार चलाना सीखे 

सबसे पहले उन्होंने रोहिदेश्वर का दुर्ग जीता | जो पुणे के पास है | इसके बाद उन्होंने तोरणा का दुर्ग, फिर राजगढ़ का दुर्ग फिर  चाकन के दुर्ग , फिर कोंडना के दुर्ग पर अधिकार किया।  व २३ दुर्गों पर कब्जा कऱ लिया 

माता की शिक्षा 

उनकी माता जीजा बाई जी ने उन्हें देश प्रेम व देश की  रक्षा की शिक्षा दी | इसके इलावा माता जी ने उनको रण कौशल में महारत हासिल करने के लिए सभी प्रबंध किये | 

उन्होंने शिवाजी को श्री राम की गाथा सुनाई | उनको श्री कृष्ण की गाथा सुनाई | 

फिर कहा तुम्हे मर्यादापरषोतम राम जी से सीखना है कि जीवन में न्याय व धर्म का महत्व क्या होता है | तुम्हे श्री कृष्ण से सीखना है कि धर्म की रक्षा करने के लिए निति का सही उपयोग कैसे करना है | शौर्य व सत्य के मार्ग पर चलकर ही सवराज प्राप्त किया जा सकता है | 

सवराज ही हमारा राज है | हमारी पहचान है | आज गैर मुल्को के राक्षसों ने हमसे शीन लिया है उसे वापिस लेकर जनता को सम्मान व आजादी से रहने देना | 


उनकी शिक्षा का प्रभाव था जब आदिलशाह के सामने उन्हें ले जाया गया व उनके पिता ने शीश झुकाया पर वीर शिवजी ने नहीं झुकाया | क्योकि वो सिर्फ अपनी माँ, व मातृभूमि को ही शीश झुकाते थे | उन्होंने अपने जैसे देश भक्तों का ग्रुप बनाया व देश की रक्षा की जिमेवारी ली | 


मातृभूमि से प्रेम होना 

उन्होंने मिटी अपने हाथ पर उठायी व कसम खायी यह लुटेरे भारत भूमि पर आये है , या दो इनको बाहर निकल देंगे या मातृभूमि पर मर मिटेंगे | उनके संगठन में सभी ने यही सौंगंध ली कि वह गुलामी को ख़तम कर देंगे 

गौ माता से प्रेम 

जब शिवाजी महाराज ने देखा के कसाई गौ माता को काटने के लिए लेकर जा रहा है तो शिवा जी ने उसके हाथ काट दिए व संकल्प लिया के जो भी हमारी गौ माता को काटेगा हम उसके हाथ काट देंगे | 



अफजल खान का वध 

यह बात 1659 की अफजल खान बीजापुर सल्तनत के आदिल शाह  का सेनापति था | आदिलशाह ने उसे शिवा जी को मारने के लिए भेजा | अफ़ज़ल खान की सेना में 35,000 पैदल सेना थी; 12,000 घुड़सवार सेना; और 500 तोपें थी | 


बीजापुर के शासक की तरह अफजल खान मुसलमान था, जबकि शिवाजी हिंदू थे।

अफ़ज़ल खान सबसे पहले तुलजापुर आया था, जहाँ उसने शिवाजी की पारिवारिक देवी भवानी की मूर्ति को नष्ट कर दिया, और उसके मंदिर के सामने एक गाय (हिंदुओं द्वारा पवित्र मानी गई) का वध कर दिया। अफजल खान कहा था वध कहते हैं कि अफजल खान ने देवी को कुछ चमत्कार दिखाने की चुनौती दी व गौ माता में 33 करोड़ देवते है तो वो चमत्कार दिखाएँ । 


शिवा जी को जब यह पता लगा के अफजल खान एक गौ हत्यारा है तो शिवा जी ने उसको समूल नाश करने का प्रण लिया | क्योकि शिवजी गौ भगत थे | 


अफ़ज़ल खान ने तब अपने दूत कृष्ण भास्कर कुलकर्णी को शिवाजी के पास भेजा, कि वो सरेंडर कर दे | 


 यह घोषणा करते हुए कि वह शिवाजी के पिता शाहजी के बहुत अच्छे दोस्त थे। उसने वादा किया कि वह राजा को कोंकण और विभिन्न किलों पर शिवाजी के नियंत्रण को आधिकारिक रूप से मान्यता दिलाने के लिए बीजापुर दरबार में अपने प्रभाव का उपयोग करेगा। उन्होंने बीजापुर से शिवाजी के लिए और विशेष सम्मान और सैन्य उपकरण सुरक्षित करने का भी वादा किया।


शिवाजी के सलाहकारों ने कहा के इस गौ हत्यारे को को खुले मैदान में युद नहीं किया जाना चाहिए | जिस से आपके बहुत सैनकों को भी नुकसान होगा | इस समय बुद्धि से काम ले व  अफ़ज़ल खान के साथ शांति वार्ता का का आग्रह करे | क्योकि उनको पता था जिस समय यह गौ हत्यारा शांति वार्ता करेगा वो अंदर से वो शिवा जी का जानी दुश्मन भी है व वो शिवा जी को मारने का प्लान बना के आया है | 


फिर शिवाजी ने अफज़ल खान के दूत कृष्णजी भास्कर के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार किया, और रात में उनसे गुप्त रूप से मिले, एक हिंदू के रूप में उनसे अफज़ल खान के असली इरादों को प्रकट करने का आग्रह किया। कृष्णजी ने संकेत दिया कि अफजल खान की विश्वासघाती योजनाएँ थीं। शिवाजी ने फिर कृष्णाजी को अपने एजेंट गोपीनाथ पंत के साथ अफजल खान के पास वापस भेज दिया। 

 दूत ने शिवाजी को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत किया जो अफजल खान का सम्मान करता था, एक बड़े और उसके पिता के सहयोगी के रूप में, और एक ऐसे व्यक्ति के रूप में जो आसानी से समर्पण करने को तैयार था। 

 हालांकि, उसका असली मकसद दुश्मन की सैन्य ताकत और इरादों का पता लगाना था। सभासद का कहना है कि गोपीनाथ ने अफ़ज़ल खान के अधिकारियों को रिश्वत दी, और पता चला कि अफ़ज़ल खान ने बैठक में शिवाजी को गिरफ्तार करके मारने की योजना बनाई थी। 

शिवाजी ने अफजल खान के खिलाफ खुद को बचाने के लिए एहतियाती उपाय किए: उन्होंने अपने कपड़ों के नीचे पतली चेन मेल और एक लोहे का कवच लगाया, और दो हथियारों को छुपाया: बाघ नख ("बाघ के पंजे" या उंगलियों से जुड़ी धातु के हुक), और एक तलवार


बैठक के लिए चुना गया स्थान कोयना नदी घाटी के दृश्य के साथ प्रतापगढ़ के नीचे स्थित एक शिखर था।

अफ़ज़ल खान ने 1,000 सैनिकों के एक अनुरक्षण के साथ पार में अपने शिविर को छोड़ दिया। हालाँकि, शिवाजी के दूत गोपीनाथ ने तर्क दिया कि इतना बड़ा अनुरक्षण शिवाजी को बैठक से दूर कर देगा, और अफजल खान को शिवाजी की तरह ही बैठक में केवल दो सैनिकों को लाने के लिए मना लिया। तदनुसार, अफजल खान ने अपने अधिकांश अनुरक्षकों को बैठक स्थल से थोड़ी दूरी पर छोड़ दिया, और शिवाजी से मिलने के लिए एक पालकी में आया, जिसमें पांच लोग थे: दो सैनिक, उनके विशेषज्ञ तलवारबाज सैय्यद बांदा, और दूत कृष्णजी और गोपीनाथ।


अफजल खान ने मांग को स्वीकार कर लिया: अफजल खान और शिवाजी दोनों अब तम्बू के अंदर प्रवेश कर गए, प्रत्येक के साथ तीन आदमी - दो सैनिक और एक दूत थे।  अफजल खान ने शिवाजी को एक किसान (कुनबी) लड़का कहकर उनका अपमान किया, और शिवाजी ने उन्हें फ्राई कुक (भटारी) का बेटा कहकर जवाब दिया।

अफजल खान शिवाजी को गले लगाने का नाटक किया, लेकिन फिर जल्दी से छिपे हुए छुरे के  हथियार से उस पर वार कर दिया। शिवाजी को उनकी चेन का कवच  था, और जवाबी कार्रवाई की गई थी। व शिवा जी ने उन्हें वाघ नख के वार से मारा जैसे शेर मारता है इस तरह भारत भूमि में गौ हत्यारे का वध किया | 




औरंगजेब की कैद से मुक्ति 

औरंगजेब एक लुटेरा था जो उत्तर भारत का बादशाह बन बैठा था | व उसका इरादा था शिवा जी को ख़तम करके पुरे दक्षिण के भारत पर कब्जा करना | इस लिए उसने अपने पहले मामा शाइस्ता खाँ को शिवा जी को ख़तम करने के लिए भेजा | शाइस्का खाँ अपने 1,50,000 फ़ौज  लेकर पूना पहुंच गया | वह ३ साल पुणे  को लुटता रहा पर एक रात शिवा जी ने छापामारी युद किया 350 योद्धा को लेकर उस पर टूट पड़े शाइस्ता खान अपनी जान बचा के  भाग गया | 

फिर औरंगजेब ने गयासुद्दीन खां को शिवा जी को मारने के लिए भेजा | काफी समय युद्ध चला फिर शिवा जी ने संधि कर ली | जिसमें शिवा जी औरंगजेब को २३ किले देंगे | व उसक पुत्र शुभाजी मुग़ल दरबार में खिदमत करेगा | फिर एक दिन औरंगजेब ने शिवा जी को आगरा बुलाया व उनकी बेइज्जती की व शिवा जी को कैद कर लिया व औरंगजेब ने शिवा जी को जेल में मारने की योजना बनाई | व शिवा जी व सभाजी उनकी जेल से भाग गए ( 18  अगस्त 1666 ) को | शिवा जी बनारस होते हुए पूरी गए फिर राजगढ़ पहुंच गए | अपने नेता को देख कर मराठों में जान आग गयी 


राजा अभिषेक करना 

महाराष्ट्र को मुगलों से पूरी तरह आजाद करा के शिवजी राज्याभिषेक किया व क्षत्रपति शिवाजी कहलाये | व हिन्दू राष्ट्र का निर्माण किया |  उन्होंने अपना सिका भी चलाया | 


शिवा जी को विष दे कर हत्या करना 

शिवा जी हत्या के पीछे मुगलों का षड्यंत्र था क्योकि सिर्फ शिवजी ही थे जो मुगलों को रोक कर रखा हुआ था व वो उनको बंदी बना न सके इस लिए साजिश से उनकी हत्या करने की योजना बनाई | इसमें यह हो सकता है कि उनके लोग गद्दार निकलें हो व उनके भोजन में जहर दिया हो व जिस से उनकी हालत ख़राब हो गयी व 30 अप्रैल 1680 को महाराष्ट्र के रायगढ़ किले में उनका देहांत हो गया 

क्यों थी मुगलों की साजिश उनकों मारने में 

क्योकि जैसे ही औरंगजेब को खबर मिली के शिवाजी की मौत हो गयी है व ५ लाख की सेना के साथ महारष्ट्र व दक्षिण भारत पर कब्जा करने पहुँच गया | उनका पुत्र राजा संभाजी ९ साल तक उसके साथ युद्ध करते रहे | बाद में धोके से उनको पकड़ कर औरंगजेब ने उसको कत्ल किया | 


 
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क्रांतिकारी: छत्रपती शिवाजी महाराज जी की जीवनी
छत्रपती शिवाजी महाराज जी की जीवनी
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