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क्रांतिकारी भगत सिंह

 

क्रांतिकारी भगत सिंह भारतीय स्वतंत्रता सेनानी हैं। भारत के इतिहास के पनों में उनका नाम अमर है | 

1. क्रन्तिकारी भगत सिंह जी का जन्म




उनका जन्म 28 सितंबर 1907 को लैलपुर जिले, बंगा, पाकिस्तान में हुआ था। उनके दादा का नाम सरदार अर्जुन सिंह है। उनके पिता का नाम सरदार किशन सिंह है। इनकी माता का नाम विद्यावंती है।

उनके 2 चाचा सरदार अर्जुन सिंह और सरदार स्वर्ण सिंह हैं। पूरे परिवार ने ब्रिटिश साम्राज्य से आजादी पाने के लिए संघर्ष किया।

2. भगत सिंह जी की शिक्षा

बचपन में उन्हें देशभक्ति का अच्छा संस्कार मिला। उनकी स्मरण शक्ति बड़ी तीव्र थी। उन्होंने बचपन में 50 किताबें पढ़ीं। 

उन्होंने डीएवी स्कूल में 10वीं की पढ़ाई पूरी की।

3. भगत सिंह जी का भारत को आजाद कराने का संकल्प लेना

 भगत सिंह उस वक्त सिर्फ 8 साल के थे, जब उनके सामने नौजवान क्रांतिकारी ‘करतार सिंह सराभा’ फाँसी के तख़्त पर चढ़ गए। 1919 में जलिया वाला बाग का कांड हुआ था। बिना किसी दोष के हजारों लोगों को जनरल डायर ने मार डाला। उस समय भगत सिंह 12 साल के थे। उन्होंने वहां जाकर इसकी पवित्र मिट्टी ली और अपने निर्दोष लोगों की हत्या के लिए अंग्रेजों से बदला लेने और भारत के लिए स्वतंत्रता लाने का संकल्प लिया।

4. भगत सिंह जी का क्रन्तिकारी दल में हिसा लेना

1923 में, वह नेशनल कॉलेज लाहौर में शामिल हो गए और चंद्रशेखर आजाद और राम प्रसाद बिस्मिल से मिले।

भारत को आजाद कराने के लिए उन्हें पैसों की जरूरत है, इसलिए उसने काकोरी कांड के जरिए अंग्रेज लुटेरों से खुद के पैसे ले लिए। इससे उन्होंने अंग्रेजों की हत्या के लिए पिस्तौलें खरीदीं।  ।

 काकोरी काण्ड में ४ क्रान्तिकारियों को फाँसी मिली जिनके नाम थे 



१. राम प्रसाद बिस्मिल

२. अशफाक उल्हा खान , 

३. ठाकुर रोशन सिंह 

४.  राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी

इसके बाद उन्होंने  हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन  का नाम हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन रखा | 

5 . भगत सिंह जी द्वारा लाला लाजपत राय की हत्या का प्रतिशोध लेना

इसके बाद अंग्रेजों ने लाला लाजपत राय की हत्या कर दी। भगत सिंह ने लाला जी की हत्या के लिए जिम्मेदार जो सैंडर्स  की हत्या करके इसका बदला लिया क्योकि अंग्रेजों के काळा कानून इंडियन पुलिस एक्ट के अनुसार सैंडर्स  बेगुनाह माना गया | इसमें लिखा है पुलिस को राइट तो ओफ्फेंस तो है पर पब्लिक को राइट तो डिफेंस नहीं है तो भगत सिंह ने कसम खायी के लाला जी जो हम न्याय दिलायेगे | 

17  दिसंबर 1928 को करीब सवा चार बजे, ए० एस० पी० सॉण्डर्स के आते ही राजगुरु ने एक गोली सीधी उसके सर में मारी जिससे वह पहले ही मर जाता। लेकिन तुरन्त बाद भगत सिंह ने भी ३-४ गोली दाग कर उसके मरने का पूरा इन्तज़ाम कर दिया। ये दोनों जैसे ही भाग रहे थे कि एक सिपाही चनन सिंह ने इनका पीछा करना शुरू कर दिया। चन्द्रशेखर आज़ाद ने उसे सावधान किया - "आगे बढ़े तो गोली मार दूँगा।" नहीं मानने पर आज़ाद ने उसे गोली मार दी और वो वहीं पर मर गया। इस तरह इन लोगों ने लाला लाजपत राय की मौत का बदला ले लिया।

6 . भगत सिंह जी द्वारा एसेम्बली में बम फेंकना

इसके बाद उन्होंने अंग्रेजों के कान खोलने के लिए दिल्ली विधानसभा में बम फेंका। भारत से जाओ या नरक जाने के लिए तैयार रहो।  भगत सिंह चाहते तो भाग भी सकते थे पर उन्होंने पहले ही सोच रखा था कि उन्हें दण्ड स्वीकार है चाहें वह फाँसी ही क्यों न हो; अतः उन्होंने भागने से मना कर दिया। उस समय वे दोनों खाकी कमीज़ तथा निकर पहने हुए थे। बम फटने के बाद उन्होंने "इंकलाब-जिन्दाबाद, साम्राज्यवाद-मुर्दाबाद!" का नारा |  लगाया और अपने साथ लाये हुए पर्चे हवा में उछाल दिए। इसके कुछ ही देर बाद पुलिस आ गई और दोनों को ग़िरफ़्तार कर लिया गया।

6. भगत सिंह जी को जेल व फांसी 



उन्होंने जेल में खराब खाने के लिए 64 दिन का उपवास भी किया। उन्होंने ने कहा के हम स्वतन्त्रा सेनानी है व हमें इंसानों जैसा वयवहार करे जेल में | 

उन्हें दो साल की जेल हुई और 30 अगस्त 1930 को जज ने उनके खिलाफ रस्सी से फाँसी लगाकर मारने का फैसला सुनाया था।

23 मार्च 1931 को शाम 7.30 बजे 23 साल की उम्र में अंग्रेजों ने अपनी मातृभूमि भारत की सेवा के लिए भगत सिंह  तथा इनके दो साथियों सुखदेव व राजगुरु को फाँसी दे दी गई | 




आखिर क्यों फांसी २४ मार्च १९३१ की बजाये २३ मार्च १९३१ को दी गयी थी 

१. अंग्रेज सरकार भगत सिंह से डर गयी थी 

इसका कारन बिलकुल स्पष्ट है चारों तरफ  भगत सिंह जिंदाबाद के नारे लग रहे थे यदि अंग्रेज उनको २४ मार्च १९३१ को फांसी देती तो तो उनके शव को नगर में घुमाया जाता व भारत की सारी जनता आ जाती २ लाख अंग्रेजी सर्कार से २ करोड़ के ऊपर भारत वासियों का विद्रोह नहीं सेहन हो सकता था व देश २४ मार्च १९३१ को ही आजाद हो जाता | इसलिए एक दिन पहले ही उनको फांसी दे कर उनके टुकड़े टुकड़े कर के फिरोजपुर में सतलुज में डुबाने की साजिश की ताकि इस शहीदी क्रांति को दबाया जा सके 

२. भगत सिंह बे गुनाह था 

क्योकि ८ अप्रैल 1929 में नकली बम्ब था 

1928 सांडर्स को मारा क्योकि वो मरीतियु दंड का हक दार था क्योकि उसे लाठी द्वारा लाला जी को मारा था 

३. भगत सिंह की रिहाई की मांग बढ़ रही थी 

8 साल में उन्होंने क्रन्तिकारी करतार सिंह सराबा की शाहदत देखि 

१२ साल में उन्होंने १९१९ में २००० क्रांतिवीरो की शाहदत देखि 

अब वः आग का गोला बन गया था यदि वह रहा हो गया तो अंग्रेज सरकार जानती थी के ऐसे लाखों और भी आग के गोले बनेगे जिसे संभालना मुश्किल है 


आज 23 मार्च २०२२ है आज उनको शहीद हुए 91 वर्ष हो गए है | हम सब उनको शत शत बार नमन करते है | 

उन्होंने जेल में अपनी जेल डायरी लिखी जो आज भी एक महान ज्ञान का खजाना है | 

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क्रांतिकारी: क्रांतिकारी भगत सिंह
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