आज शहीदे आजम भगत सिंह जी का ९१वा सहादत दिवस है आज ही के दिन क्रन्तिकारी भगत सिंह को उनके दो साथी सुखदेव व राजगुरु के साथ लाहौर में फांसी दी गयी थी | आखिर क्यों फांसी २४ मार्च १९३१ की बजाये २३ मार्च १९३१ को दी गयी थी
१. अंग्रेज सरकार भगत सिंह से डर गयी थी
इसका कारन बिलकुल स्पष्ट है चारों तरफ भगत सिंह जिंदाबाद के नारे लग रहे थे यदि अंग्रेज उनको २४ मार्च १९३१ को फांसी देती तो तो उनके शव को नगर में घुमाया जाता व भारत की सारी जनता आ जाती २ लाख अंग्रेजी सर्कार से २ करोड़ के ऊपर भारत वासियों का विद्रोह नहीं सेहन हो सकता था व देश २४ मार्च १९३१ को ही आजाद हो जाता | इसलिए एक दिन पहले ही उनको फांसी दे कर उनके टुकड़े टुकड़े कर के फिरोजपुर में सतलुज में डुबाने की साजिश की ताकि इस शहीदी क्रांति को दबाया जा सके
२. भगत सिंह बे गुनाह था
क्योकि ८ अप्रैल 1929 में नकली बम्ब था
1928 सांडर्स को मारा क्योकि वो मरीतियु दंड का हक दार था क्योकि उसे लाठी द्वारा लाला जी को मारा था
३. भगत सिंह की रिहाई की मांग बढ़ रही थी
8 साल में उन्होंने क्रन्तिकारी करतार सिंह सराबा की शाहदत देखि
१२ साल में उन्होंने १९१९ में २००० क्रांतिवीरो की शाहदत देखि
अब वः आग का गोला बन गया था यदि वह रहा हो गया तो अंग्रेज सरकार जानती थी के ऐसे लाखों और भी आग के गोले बनेगे जिसे संभालना मुश्किल है