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सुभाष चंद्र बोस जी की जीवनी


आज 23rd Jan सुभाष चंद्र बोस की 125वा जन्म दिवस हैं, आओ जानें us महान जीवन को




1. नेता जी सुभाष चन्द्र का जन्म

सुभाष चन्द्र बोस जी का जन्म 23th Jan 1897 को उड़ीसा के कटक शहर में हुआ ।

उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस था माता का नाम प्रभावती था । पिता जी पहले सरकारी वकील थे बाद मैं प्राइवेट करने लग गए थे । उनकी 14 संताने थी सुभाष उनकी नोवी संतान va panchve बेटे थे । उनकी 6 बेटियां va 8 बेटे थे ।








2 नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की शिक्षा

१. जब सुभाष जी 5 वर्ष के थे तो उनेहें प्रोटेस्टेंट यूरोपियन स्कूल भेजा गया जो अंग्रेजी स्कूल था ।

२. इसके बाद राबी नाशा स्कूल में 1909 में भर्ती किया गया

३. 15 वर्ष की आयुमें स्वामी विवेकानंद जी की किताबों से शिक्षा लेना शुरू किया | उन्होंने स्वामी विवेकानंद जी की लिखी किताबों व पत्रों को पड़ा | स्वामी विवेकानंद जी के उपदेशों को समझा | उन्होंने ने जाना, इस दुनिया में मानव सेवा ही सबसे बड़ी भगवान की सेवा है | मानव की सेवा मातृभूमि की सेवा से शुरू हो सकती है | तो उन्होंने संकल्प लिया के वे मातृभूमि के लिए अपना जीवन दे देंगे |

४. 191३ में सुभाष चंद्र बोस जी ने मेट्रिक की |




५. आगे की पढ़ाई के लिए कलकता मेंप्रेसीडेंसी कॉलेज में दाखिल हुए

जब १९१६ में सुभाष जी कॉलेज में थे तो कुछ विद्यारिथयों ने बताया के एक अंग्रेज प्रोफेसर ने छात्रों के साथ दुर्व्यवहार किया है सुभाष विद्यार्थियों के लीडर थे | उन्होंने मांग की के प्रोफेसर oaten विद्यार्थियों से माफ़ी मांगे | पर हिस्ट्री के प्रोफेसर ने माफ़ी नहीं मांगी , विद्यार्थियों ने हड़ताल की | प्रोफेसर oaten ने एक महीने के बाद फिर से विधयर्थियों के साथ दुरवहवहार किया | सुभाष चंद्र बोस ब्रह्मचारी थे | शारीरक बल बहुत ज्यादा था | व सुभाष जी ने उनसे झगड़ा करके उन्हें सबक सिखाया | पर प्रोफेसर oaten ने आरोप लगाया कि उसे धका दिया है पीछे से जो के गलत था पर सुभाष को इसकी सजा मिली उन्हें कॉलेज से ससपेंड कर दिया गया व

६. नेता जी ने 1917 मैं Scottish Church College से अपनी BA की थर्ड ईयर कम्पलीट किया व ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की 
सुभाष जी ने ने अपने दोस्त को चिठ्ठी लिखी 






इन १९४७, प्रोफेसर oaten ने कविता लिखी 

Did I once suffer, Subhas, at your hands?

Your patriot’s heart is stilled, I would forget!

Let me recall but this, that while as yet.

The Raj that you once challenged in your land

Was mighty; Icarus-like your courage planned.

To mount the skies, and storm in battl set.

The ramparts of High Heaven, to claim the debt

Of freedom owed, on plain and rude demand.

High Heaven yielded, but in dignity.

Like Icarus, you sped towards the sea.

७. 15th september 1919, सुभाष जी इंग्लैंड गए व वह से  १९२० में ICS की परीक्षा 4th स्थान से पास कर ली व ICS अफसर बने | व 1921 में उन्होंने भारत सचिव इ इस मांटेग्यू को ICS अफसर की जॉब का त्यागपत्र सौंपा व अपना सारा जीवन भारत देश की सेवा में लगा दिया | उनके साथियों ने उन्हें त्यागपत्र वापिस लेने के लिए कहा पर सुभाष जी ने अपना तन, मन व धन देश के लिए समर्पित करने का निर्णय ले लिया था |  

3. नेता जी द्वारा भारत माता की सेवा 

२० जुलाई 1921 -  सबसे पहले नेता जी भारत माता की सेवा के लिए इंग्लैंड से भारत आते ही दासबाबू व महात्मा गाँधी से मिले 






1922 - दासबाबू के साथ मिलकर सवराज पार्टी बनाई व कलकता महापालिका के अध्यक्ष बने | उन्होंने कलकता के सभी रास्तों पर अंग्रेजी नाम ख़तम कर दिए |
1928 साइमन कमीशन को काळा झंडे दिखाए

नेता जी 1921 से 1941 तक २० सालो में 11  जेल गए 




१.  सबसे पहले 16th july 1921 mein 6 month के लिए जेल गए 
2.  1925 में गोपीनाथ को फांसी दिए जाने पर उनका शव मांग कर उनका संस्कार किया  तो अंग्रेज सरकार ने उन्हें खतरनाक क्रन्तिकारी समझा व बिना मुकदमा चलाये उन्हें मंडले जेल में बंद कर  दिया |  

गोपीनाथ की जीवनी 



3.  1930 में जैसे ही डलहौजी से वापस आये उन्हें देश सेवा के लिए कैद कर लिया गया 
१९३० में सुबाष जी ने जेल में से ही कोलकाता के में मेयर क्र चुनाव लड़ा व जीत गए व अंग्रेजों ने उन्हें रहा किया 
4. 1932 में फिर से अंग्रेजों ने सुभाष जी को पकड़ कर जेल में बंद कर दिया va उन्हें अल्मोड़ा जेल में रखा गया जहा उनकी तबियत ख़राब हो गयी व उन्हें यूरोप बेज दिया 

1933 से 1936 सुभाष बाबू यूरोप रहे 



vha इटली के नेता मुसोलिनी से मिले 

आयरलैंड के नेता दी वलेरा से मिले 

व्ही विठ्ठल भाई पटेल मिले 

5. १९३४ में जैसे ही सुभाष जी अपने बीमार पिता को मिलने के लिए कराची से कोलकाता ए अंग्रेजों ने फिर से सुभाष जी को जेल में बंद कर दिया फिर उन्हें युरोप भेज दिया 
१९३४ में उन्होंने ऑस्ट्रिया की इमली शेंकल से विवाह कराया उनकी बेटी हुए जिनका नाम अनिता बोस रखा गया 
1938 में सुभाष जी कांग्रेस के अध्यक्ष बने 

६. 1939 को सुभाष जी के स्वयंसेवक ने कोलकाता में हैलवेट स्तम्भ जो भारत की गुलामी का प्रतीक था को मिटी में मिला दिया इसके लिए सुभाष जी को कैद करके जेल में डाल दिया 

७. फिर उन्हें १९४० में उनके घर में ही नजर बंद किया 

आजाद हिन्द फौज की स्थापना 

नजरबंदी से निकलने के लिए सुभाष ने एक योजना बनाई | 16th जुलाई 1941 को पुलिस को चकमा देकर एक पठान मोहमद जियाउद्दीन के वेश में अपने घर से निकले | शरदबाबू के बड़े बेटे शिशिर ने उन्ही अपनी गाड़ी सेकोलकाता से गोमोह पहुंचाया गोमोह रेलवे स्टेशन से फ्रंटियर मेल पकड़ कर पेशावर पहुंचे | पेशावर में भगतराम तलवार मेले | भगतराम तलवार एक पठान बने व सुभाष एक गूंगे चाचा बने व पेशावर से अफगानिस्तान की रजथानी काबुल पहुंचे | काबुल में उत्तमचंद मल्होत्रा के घर २ महीने रहे | वह से वह रूस जाना चाहते थे पर असफल होने पर इटालियन दूतावास में उनकी कोशिश सफल हुयी व वः मजेंटा नामक इटालियन व्यक्ति बन कर काबुल से रूस की राजधानी मास्को गए फिर जर्मनी पहुंचे 

जर्मनी की राजधानी बर्लिन में अल्फेर्ड हिटलर से भी मिले | 



लेकिन हिटलर को भारत में रूचि नहीं थी | कई साल पहले मई कम्प्फ में हिटलर ने अपनी आतम कथा लिखी जिस में उन्होंने भारत व भारतियों की बुराई की | सुभाष ने जोर देकर हिटलर के सामने इस बात की नराजगी व्यक्त की व हिटलर ने माफ़ी मांगी | 

हिटलर ने कहा ३८ करोड़ भारत वासियों पर २ लाख अंग्रेज राज कर रहे है | यह है भारत की गुलामी का पका साबुत है 

सुभाष जी ने कहा यह गुलामी का अंधकार अब ख़तम होने वाला है मैं अंग्रेजों की जेल को तोड़ कर सात समुन्द्र पार करके जर्मनी से भारत को आजाद कराने के लिए मदद लेने के लिए आया हु जो इस बात का साबुत है के भारत भूमि पर बलिदान देने वालो देश भगतों की कमी नहीं है जो अपनी जान देकर भारत को आजाद करायेगे | 1857 से हजारों भारत के क्रन्तिकारी बलिदान दे चुके है |  तोपों के आगे होकर बलिदान दिया है |हमने अबचुड़िया नहीं पहनी फिरंगियों को चुन चुन कर मार कर भारत से बहार निकाला जायेगा | 

हिटलर से सपोर्ट न मिलने पर सुभाष जी सिंगापूर पहुंच क्र 1942 में आज़ाद हिंद फौज की स्थापना की इसमें भारत के कैदी जो जापान दुवारा मालिया में पकड़े गए थे आप इस सेना में शामिल हो गए जिन की संख्या 12000 थी | सुभाष चंद्र बोस जी ने अंग्रेजो के खिलाफ युद्ध का एलान कर दिया कहा 

भारतवासियों को 

तुम मुझे खून दो मैं तुझे आजादी दूंगा | 



नेता जी सुभाष चंद्र बोस को लापता करना 

द्वित्य विश्वयुद में जापान हार गया व नेता जी भारत को आजाद करने के लिए रूस से सहायता मांगने के लिए 18 अगस्त 1945 को हवाई जहाज से मंचूरिया जा रहे थे | इस सफर के दौरान वे लापता हो गए | भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखाकार से प्राप्त दस्तवेज के अनुसार नेता जी की मृतयु उस विमान दुर्घटना में होने का कोई साबुत नहीं है लेकिन भारत सरकार ने मुखर्जी आयोग की रिपोर्ट को अस्वीकार कर दिया | 

18th अगस्त 1945 के दिन नेता जी कहां लापता हो गए यह इतिहास का रहस्य है | 




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क्रांतिकारी: सुभाष चंद्र बोस जी की जीवनी
सुभाष चंद्र बोस जी की जीवनी
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