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Lal Bhadur Shastri ji |
लालबहादुर शास्त्री (जन्म: 2 अक्टूबर 1904 मुगलसराय (वाराणसी) में हुआ | उनकी मृत्यु: 11 जनवरी 1966 ताशकन्द, सोवियत संघ रूस में हुई | वह बचपन से ही देश भगत थे उनके पिता जी का नाम श्री वास्तव जी था | वो पहले टीचर थे बाद में क्लर्क बन गए | लाल बहादुर शास्त्री जी की रूचि भारतीय संस्कृति में थी इस लिए उन्होंने शास्त्री की | उसके बाद भारत के जो विभिन क्रन्तिकारी आंदोलन थे उन में वो शामिल हुए |
१९२० के भारत छोड़ो आंदोलन में डट के भाग लिया |
१९३० में दांडी मार्च में हिसा लिया |
१९४२ में गाँधी जी ने नारा दिया करो या मरो | पर लाल बहादुर शास्त्री जी ने इसे बदल कर कहा , करो या मरो नहीं | करो या मारो | इस से यह पता लगता है कि चाहे शारीरक बल नहीं था पर उनमें आत्मिक बल बहुत था | तथा देश को आजाद करना है , राष्ट्र की रक्षा करनी है यह उन्होंने संकल्प किया था | इस के लिए वो १९४२ में जेल गए | व वहां के कष्ट सहे | इनकी वजह से देश आजाद हुआ | उसके बाद वो कांग्रेस के उत्तर प्रदेश में मिनिस्टर बने, पुलिस व ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट में | उसके बाद वो कांग्रेस में रक्षा मंत्री भी बने | नेहरू की मोत के बाद वो देश के दूसरे प्रधान मंत्री बने | वे चाहे १८ महीने प्रधान मंत्री बने | ९ जून १९६४ में देश के प्रधान मंत्री बने थे | ११ जनवरी १९६५ तक का उनका समय था |
पर जो भारत के विकास के लिए वो परिवर्तन लेकर आये उसे आज भी हम याद करते है |
1965 में पाकिस्तान ने भारत के ऊपर हमला कर दिया | इसके पीछे अमरीका का भी हाथ था | क्योकि अमरीका अपने बम्ब बारूद बेचना चाहता था | यदि भारत व पाकिस्तान आपस में युद्ध करेगें तो लाभ तो अमरीका को होने वाला है | क्योकि इससे उनका मॉल बिकता है | यह अमरीका की स्ट्रेटेजी थी | यदि इन दोनों देशो में शांति होगी तो उनका माल नहीं बिकेगा | उनके बम्ब बारूद नहीं बिकेंगे | लाल बहदुर शास्त्री जी ने बहुत क्लियर कर दिया के हमे आपने रक्षा करनी है | उनके इतने क्रन्तिकारी भाषण थे कि भारतीय सेना बहुत मोटीवेट हुए व उन्होंने पाकिस्तान के लाहौर तक कब्जा कर लिया | अब लाल बहादुर शास्त्री जी को धोखे से रूस बुलवाया व उनके sign ले लिए व पाकिस्तान कहने लगा हम शांति करना चाहते है | लाल बहादुर शास्त्री जी सब मान लिया था पर कहा जो जीती है अपने देश की जमीं वो नहीं दे सकते | कश्मीर भारत का अभिन अंग है व हमेशा ही रहेगा | इस तरह वो देश को प्यार करने वाले महान क्रन्तिकारी थे | क्योकि जब अमरीका ने भारत के आकाल के समय गेहू देना बंद कर दिया तो शास्त्री जी ने पुरे भारत में सोमवार को अनाज न खाने के लिए व्रत रखा व पुरे भारत में यह लोकप्रिय हो गया |
इसी की वजह से ताशकंद में उनका मर्डर हुआ व इसको नार्मल डेथ का रंग भी दिया गया | आज भी इसका रहस्य बना हुआ है | उनके परिवार में उनके छे बच्चे हुए | ४ लड़के व २ लड़किया | उनके बलिदान के बाद भारत ने होने भारत रत्न की उपाधि थी | उनके महान जीवन को हम सलाम करते है |
जय हिंद, वंदे मातरम